15 Mar
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हम यहाँ बात कर रहें हैं एक Digital Ecosystem Develop करने की। अब आप कहेंगे कि ये डिजिटल इकोसिस्टम क्या होता है। इसके बारे में तो हमने कभी सुना ही नहीं है।तो जनाब घबराइए मत, क्योंकि हम आपको Digital Ecosystem से पूर्ण रूप से अवगत कराने वाले हैं। साथ ही हम इसके Components & Importance के बारे में भी आपको बताएँगे। 

Digital Ecosystem क्या है?

Digital Ecosystem को कई परिभाषाओं के माध्यम से समझा जा सकता है।  

  1. पहली परिभाषा – Digital Ecosystem उन सारे Processes & Components का Combination होता है जो एक बिज़नस को ऑफलाइन से ऑनलाइन शिफ्ट करने के लिए ज़रूरी होते हैं। 
  2. दूसरी परिभाषा – एक बिज़नस को Digital रूप देने के लिए तथा प्रोडक्टस & सर्विसेस को लाखों लोगों तक पहुँचाने के लिए जिन Process की ज़रूरत होती है, उन्ही Processes का कलेक्शन Digital Ecosystem कहलाता है। 
  3. तीसरी परिभाषा – Digital Ecosystem के अंतर्गत वह strategies शामिल होती हैं जो एक लोकल दुकानदार को उसका बिज़नस ऑनलाइन ले जाने तथा उसे एक सफल ब्रांड बनाने में मदद करती हैं।

Components Of Digital Ecosystem (Business Website)

Digital Ecosystem के Components जानने से पहले हम यह जान लेते हैं कि हमे आखिर इसकी ज़रूरत ही क्यों है और हमारा Ultimate Goal क्या है डिजिटल इकोसिस्टम बनाने का। एक Digital Ecosystem Create करने का हमारा Ultimate गोल है अपने आपको एक ब्रांड के रूप में स्थापित करना। परंतु क्या आप जानते हैं कि ब्रांड बनाने के अलावा भी हमारा एक Ultimate Goal है जो हर किसी इंसान कि ख़्वाहिश होती है और वो है पैसा कमाना। 

अब आप सोच रहे होंगे कि डिजिटल इकोसिस्टम कि मदद से पैसा कैसे बनाया जाए? हम आपको बता दें कि किसी भी ऑनलाइन बिज़नस में अगर आप अच्छा करना चाहते है और एक अच्छी ख़ासी Income Stream Generate करना चाहते हैं तो आपको एक ऑनलाइन Platform कि ज़रूरत पड़ती है जिसे Website कहा जाता है। 

  • अगर आपको नहीं पता कि Website क्या है तो आप हमारा यह Article पढ़ सकते हैं।

Organic (Free) Process

Organic Process से तात्पर्य होता है Free Process जहां आपको Lead Generate करने के लिए या अपनी Website पर ट्रेफिक लाने के लिए कोई Ad Run नहीं करना पड़ता और कोई पैसा खर्च नहीं करना पड़ता।इस Process के तहत आपको अपनी Website को Google Algorithm के हिसाब से Optimize करना पड़ता है जिससे आपकी Website Google के फ़र्स्ट पेज पर रैंक हो सके और आपकी Website पर लोग आएँ और आपका Revenue हो। इसके साथ ही आपको कुछ अन्य Social Media Platforms जैसे कि Facebook, Instagram, Twitter, YouTube, इत्यादि पर Quality Content Post करके अपनी Reach बनानी पड़ती है जिसके माध्यम से लोग आप तक या आपकी Website तक पहुंच सकें।Organic Process में तीन Techniques शामिल है – SEO, SMO, And CM.

आइये चलिये इन तीनों Organic Techniques को एक एक करके समझते हैं।

SEO (Search Engine Optimization):

SEO का मतलब है अपनी Website को Google Algorithm के हिसाब से Optimize करना जिससे आपकी Website Google के फ़र्स्ट पेज पर पहुँच जाए और आपको Particular Keywords पर ज्यादा ट्रेफिक मिले। नहीं समझे? चलिए हम आपको अच्छे से समझाते हैं।  

जब भी आप अपनी Website डिज़ाइन करते है तथा उस पर Content डालते हैं तो आपको सर्च इंजिन यानि कि Google के कुछ Algorithms (New Data & Rules) का ध्यान रखना पड़ता है। 

जब आप कोई Content अपनी Website पर डालते हैं तो आपको कुछ Keywords का ध्यान रखना पड़ता है। अब आप सोच रहे होंगे कि ये Keywords क्या होते  हैं? चलिये हम इसके बारे में भी थोड़ा जान लेते हैं।जब भी आप Google पर कुछ सर्च करते हैं, उदाहरण के लिए मान लीजिये आपने सर्च किया “Best Interior Designer In Delhi” तो जो आपने ये शब्द इस्तेमाल किए हैं अपने सर्च में या यूँ कहे जो आपने अपनी Query पूछी है Google से, उसे ही Keyword कहा जाता है। 

अब ये Keywords दो तरह के हो सकते हैं – Long Tail ओर Short Tail.

4 या उससे ज्यादा शब्दों की Query को Long Tail Keywords कहा जाता है और यदि आपकी Query केवल  2-4 शब्दों में ही सिमटी है तो उसे Short Tail Keyword कहा जाता है।अब हम मान के चलते हैं कि आपको Keywords के बारे में थोड़ा आइडिया हो गया होगा।हाँ तो हम कह रहे थे कि जब भी हम अपनी Website पर कुछ Content डालते हैं तो हमे कुछ Keywords का ध्यान रखना पड़ता हैं और हमे उनका इस्तेमाल अपनी Website के विभिन्न पेजों पर करना होता है। इससे होता ये है कि जब भी कोई इंसान अपनी कोई Query को Google पर सर्च करता है तो Google अपनी Algorithm के हिसाब से आपकी Website को पहले पेज पर ला देता है जिससे आपकी Website पर ज्यादा Visitors या Leads आते हैं और Ultimately उन्हे आप अपने प्रोडक्टस & सर्विसेस बेच सकते हैं।  

ये पूरा Process जिसमे Website को Optimize करने से लेकर उसे Rank कराना पड़ता है SEO (Search Engine Optimization) कहलाता है। SEO को चार भागों में बांटा गया है – On Page, Off Page, Technical, And Local SEO  

चलिये इन चारों के बारे में थोड़ा सा जान लेते हैं।

  1. On-Page SEO: इस Technique के तहत हम Web Pages को Optimize करते हैं जिससे हमारी Website Google पर रैंक हो सके और हमें ज्यादा ट्रैफिक मिल सके। इसके तहत हमे Content और Html Code दोनों को ही Optimize करना पड़ता है। 
  2. Off-Page SEO: इस Technique के तहत हम Website को छोड़कर बाकी उन सभी External Factors पर ध्यान देते हैं जो एक Website की रैंकिंग को Improve करने में मदद करते हैं। इसमे शामिल है – Backlinks बनाना, Guest Post सबमिट करना, Directory Submit करना इत्यादि। 
  3. Technical SEO: इस टर्म से तात्पर्य है वो सभी स्टेप्स जो एक Website और उसके सर्वर को Optimize करने के लिए ज़रूरी होते हैं जिससे कि आपकी Website आसानी से Index हो सके और Google Crawlers इसे Crawl कर सके।
  4. Local SEO: लोकल SEO से तात्पर्य है अपनी Website को लोकल बिज़नस (Local शॉप, होटल, रैस्टौरेंट, आदि) के लिए Optimize करना। इसका उद्देशय होता है अपने Local Audience कि Queries को हल करना और उन्हे अपनी Website के माध्यम से बेहतरीन सुविधाएं प्रदान करना।

SMO (Social Media Optimization):

इस Technique से तात्पर्य है विभिन्न सोश्ल मीडिया (Facebook, Instagram, Twitter, LinkedIn, YouTube) का Optimization.

इन Platforms का Optimization करने के लिए आपको इन्हे अच्छे से इस्तेमाल करना होगा, रेगुलर Quality Posts डालनी होगी, Valuable Content डालना होगा, तथा Knowledgeable Videos डालनी होगी। यह सब करने से आपकी पहुँच आपके टार्गेट कस्टमर तक बढ़ेगी और आप उन्हे अपनी Website पर Land करा पाएंगे। 

आप जितनी ज्यादा वैल्यू अपने Content के माध्यम से लोगों को दे पाएंगे उतनी ही ज्यादा आपको Follow करने वालों की संख्या बढ़ेगी, आपकी Reach बढ़ेगी और आप एक ब्रांड के रूप में अपने आप को स्थापित कर पाएंगे। 

CM (Content Marketing):

कंटेंट मार्केटिंग से तात्पर्य है सर्च इंजन (Google और यूट्यूब) का बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल करके अपने आप को मार्केट करना और अपनी टार्गेट ओडियन्स तक पहुँचना और फिर उन्हे अपनी Website तक लेकर जाना। इसके लिए आप तीन तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हो – YouTube Videos, Blogging, & Newsletter.YouTube Videos का क्रेज़ इंडिया में तो पिछले 5-6 सालों में काफी बढ़ गया है, जब से इंटरनेट सस्ता हुआ है, लाखों लोगों ने अपने YouTube Channels बना लिएँ हैं और अपने प्रोडक्टस को, सर्विसेस को, और अपने टैलंट को भी प्रोमोट करना शुरू कर दिया है।

उदाहारण के लिए, अगर आपका एक साड़ी का बिज़नस है और आप एक YouTube Channel खोलते हैं जहां आप साड़ियों से रीलेटेड Knowledgeable Videos डालते है और आपकी विडियो लोगों को पसंद आती है।अब मान लीजिये कि आपकी कोई एक विडियो काफी लोगों को पसंद आयी और खूब सारे Shares & Likes भी आपको उस विडियो पर मिले। अब क्या होगा कि वे महिलाएं जिन्हें आपकी विडियो पसंद आयी थी वे आपकी दुकान के बारे में जानना चाहेंगी, आपकी Website के बारे में जानना चाहेंगी और आपको फॉलो करना चाहेंगी।तो इसी तरीके से आपके कस्टमर बनने लगते हैं और आपका Online & Offline काम अच्छा चलने लगता है।  

YouTube पर आप छोटी विडियो भी बना सकते हैं जहां पर आप अपने किसी नए प्रोडक्ट के लॉन्च के बारे में बता सकते हैं या कोई डिस्काउंट के बारे में लोगों को जानकारी दे सकते हैं। अगर आप YouTube पर रेगुलर कुछ Videos Upload करते हैं तो यकीन मानिए यह आपके लिए बेस्ट डिसिजन साबित हो सकता है और आपको एक ब्रांड के रूप में पहचान दे सकता है।

Blogging की बात करें तो आप अपनी एक Blogging Website बनाकर उसपर अपने बिज़नस से सबंधित Articles Post कर सकते हैं और अपनी Business Website का लिंक लगा सकते हैं। यहाँ से भी आपको ट्रेफिक मिलने की संभावना रहती है।

Inorganic (Paid) Process

Inorganic Process से तात्पर्य होता है Paid Process जहां आपको अपनी सर्विसेस को प्रोमोट करने के लिए Ad Run करने पड़ते हैं और पैसा इन्वेस्ट करना पड़ता है। इससे आपको फायदा यह होता है कि आपके पास Quality Lead Generation होता है जिन्हे आप अपने लैंडिंग पेज पर ले जा सकते हैं और एक बेहतरीन Call-To-Action के माध्यम से कन्वर्ट कर सकते हैं।

 इस Process के तहत अगर आपकी Website Google के फ़र्स्ट पेज पर रैंक नहीं भी है तब भी आपकी Website पर ट्रेफिक आता है और आपकी लीड जनरेट होती है।  

Inorganic Process के तहत आपको Traffic लाने के लिए Google Ads, YouTube Ads, Facebook Ads, आदि Run करने पड़ते हैं।

 Inorganic Process में दो Techniques शामिल हैं – SEM & SMM. 

आइये चलिये इन दोनों Inorganic Techniques पर थोड़ा प्रकाश डालें।  

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